Saturday, 15 November 2014

दुनिया के चोचले

समय ३:२५ हो रहा है , अब इसे मैं रात्रि के ३ बजे कहू या सुबह के , खैर आज फिर कई दिनों बाद कुछ लिखने का मन कर रहा था , लेकिन मैं देल्ही की सरद रात्रि का आनंद ले कर सोने की कोशिस कर रहा था , क्यूंकि कल सुबह प्रातः ८ बजे से क्लास है , परन्तु आखिर में फिर एक बार मन जीता और मस्तिस्क हार गया और मैं फिर  अपने सबसे सचे मित्र लैपटॉप के साथ बैठ गया , वैसे आज मेरा जन्मदिवस है,हो सकता है इसी कारण आज मेरा कुछ लिखने का मन कर रहा हो , और हर बार की तरह इस बार भी मेरी माँ ने मुझे सबसे पहले बधाई दी और हर बार की तरह इस बार फिर मैं घर नहीं जा पाया , पता नहीं क्यों आज जन्मदिवस होते हुए भी मुझे
 अच्छा नहीं लग रहा , ताकि किसी को पता न चल पाए की आज मेरा जन्मदिन है इस कारण मैंने अपना फेसबुक(फेकबुक) अकाउंट से अपना बर्थडे हटा लिया था , क्यूंकि लोगो की बिन चाही बाधइयो एवं फिर उन बाधइयो पे अच्छे अच्छे कमेंट्स का ढोंग अब  मुझसे नहीं होता , या फिर कई जगहों की तरह यह  जगह भी मेरे लिए नहीं है , लेकिन न चाहते हुए भी कुछ मित्रो ने मुझे रात्रि में काल करके बधाई दी , पता नहीं क्यूँ किसी का भी फ़ोन उठाने का मन नहीं केर रहा था और यह मैं खुद नहीं समझ पा रहा था , लेकिन फिर भी ताकि किसीको ख़राब न लगे तो कुछ बाते वाते करनी पड़ी , हो सकता है की अगर मैं भी इनको पिछले सालो पे इनके जन्मदिनों पे  फ़ोन न करता तो ये भी न करते , परन्तु मैं आज चाह रहा था की वे न करे क्यूंकि मैं चाह रहा था की मेरे मित्र किसी नैतिक बोझ के कारण मुझे कॉल न करे , मगर करते भी है तो कोई परेशानी नहीं है  |

                                                                                                                                                 क्यूंकि उसने मेरे लिए इतना किया तो मैं उसके लिए इतना करूँगा , इसका मतलब मुझे कुछ समझ नहीं आता , लोग कुछ बने हुए नियमो एवम दुसरो को देख कर ही जी रहे है , मैं सिर्फ इतना चाह रहा हु की लोग इन सब झूठे भावनात्मक विचारो को हटाये ,एवम जो वे सच में चाहते है वो करे नाकि सामाजिक एवम नैतिक बोझ में आ कर ,  

Tuesday, 4 March 2014

आज मैंने आन्ना जी को ममता जी का लोकसभा चुनाव ले लिए टीवी  में प्रचार करते हुए देखा यह देख कर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्यूंकि इस ज़माने के गाँधी कहे जाने वाले अन्ना अगर इस समय ममता जी का प्रचार कर सकते है तो हो सकता है की मोहन दास करम चन्द्र गाँधी भी नेहरु जी का प्रचार करते ,वो भी उनके लिए टेक और रिटेक लेते अगर उस समय भी टेलीविजन होता .या हो सकता है मैं गलत हु मगर यह वही आन्ना है जो   केजरीवाल का पॉलिटिक्स में आने को गलत एवं वी के सिंह जी  के बीजेपी में सामिल होने का बचाव एवं किरण बेदी का बीजेपी की तारीफ का समर्थन करते है
                                                         एवं हमेसा से ही पॉलिटिक्स से दूर रहने को कहने वाले एवं पॉलिटिक्स को अछूत कहने वाले आज ममता जी के लिए टेक पे टेक दे रहे है टीवी के सामने , यह आन्ना जी का अपना मसला है | एक बार फिर आन्ना एवं केजरीवाल ने ये तो साबित कर दिया की किसी भी व्यक्ति से किसी भी चीज़ की अपेक्षा रखना सिर्फ आपकी मुर्खता को बढाता है और यह और भी सत्य हो जाता है अगर हम यह बात राजनीति के सन्दर्भ में कहे | मैं केजरीवाल जी का समर्थक हुआ करता था मगर उनका किसी भी चीज़ को पूरा किये बिना उसको छोड़ देना मुझे सही नहीं लग रहा मेरे हिसाब से उनको अगर सुधार करना ही था तो उनको दिल्ली में ही उसको सही ढंग से कर के फिर आगे जाना चाहिए था मगर वह एक साथ सम्पूर्ण भारत में सुधार कर देंगे तो यह तो कोई भी नहीं कर सकता चाहे वेह केजरीवाल जी हो या माननीय मोदी जी हो , उन्होंने जो काम ४९ दिन की सरकार में कर दिया शायद वह उ.प  की सरकार पाच साल में भी न करने की हिम्मत रखे मगर क्या करे राजीनीति में कौन कब क्या कर दे कुछ नहीं कह सकते
                                                                                                         मगर मेरे लिए बडा ही मुस्किल होता जा रहा है की किसको अपना मत दूँ एक बार सोचता हु की केजरीवाल जी पर फिर भरोसा करूँ मगर वह तो बहुमत में नहीं आ पाएंगे तो सोचता हु की मोदी जी को दू जो की हर बात पर अपना गुजरात मॉडल दिखा देते है परन्तु क्यूंकि मेरा किसी से भी अपेछा कर फिर निरास होने का कोई मकसद नहीं है तो मोदी जी की तरफ मेरा कोई निर्णय नहीं बन पा रहा  है या फिर एक बार  फिर एक ऐसे व्यक्ति को दूँ जो की निर्दलीय लड़ रहा है लेकिन जो की बाकी सब से कही ज्यादा ईमानदार एवं जिसकी जमानत अवस्य जप्त हो जाने वाली है उसको दू ,    इस बार तो मेरे लिए अपने मत का प्रयोग करना किसी परीक्षा से कम नहीं लग रहा |