आज मैंने आन्ना जी को ममता जी का लोकसभा चुनाव ले लिए टीवी में प्रचार करते हुए देखा यह देख कर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्यूंकि इस ज़माने के गाँधी कहे जाने वाले अन्ना अगर इस समय ममता जी का प्रचार कर सकते है तो हो सकता है की मोहन दास करम चन्द्र गाँधी भी नेहरु जी का प्रचार करते ,वो भी उनके लिए टेक और रिटेक लेते अगर उस समय भी टेलीविजन होता .या हो सकता है मैं गलत हु मगर यह वही आन्ना है जो केजरीवाल का पॉलिटिक्स में आने को गलत एवं वी के सिंह जी के बीजेपी में सामिल होने का बचाव एवं किरण बेदी का बीजेपी की तारीफ का समर्थन करते है
एवं हमेसा से ही पॉलिटिक्स से दूर रहने को कहने वाले एवं पॉलिटिक्स को अछूत कहने वाले आज ममता जी के लिए टेक पे टेक दे रहे है टीवी के सामने , यह आन्ना जी का अपना मसला है | एक बार फिर आन्ना एवं केजरीवाल ने ये तो साबित कर दिया की किसी भी व्यक्ति से किसी भी चीज़ की अपेक्षा रखना सिर्फ आपकी मुर्खता को बढाता है और यह और भी सत्य हो जाता है अगर हम यह बात राजनीति के सन्दर्भ में कहे | मैं केजरीवाल जी का समर्थक हुआ करता था मगर उनका किसी भी चीज़ को पूरा किये बिना उसको छोड़ देना मुझे सही नहीं लग रहा मेरे हिसाब से उनको अगर सुधार करना ही था तो उनको दिल्ली में ही उसको सही ढंग से कर के फिर आगे जाना चाहिए था मगर वह एक साथ सम्पूर्ण भारत में सुधार कर देंगे तो यह तो कोई भी नहीं कर सकता चाहे वेह केजरीवाल जी हो या माननीय मोदी जी हो , उन्होंने जो काम ४९ दिन की सरकार में कर दिया शायद वह उ.प की सरकार पाच साल में भी न करने की हिम्मत रखे मगर क्या करे राजीनीति में कौन कब क्या कर दे कुछ नहीं कह सकते
मगर मेरे लिए बडा ही मुस्किल होता जा रहा है की किसको अपना मत दूँ एक बार सोचता हु की केजरीवाल जी पर फिर भरोसा करूँ मगर वह तो बहुमत में नहीं आ पाएंगे तो सोचता हु की मोदी जी को दू जो की हर बात पर अपना गुजरात मॉडल दिखा देते है परन्तु क्यूंकि मेरा किसी से भी अपेछा कर फिर निरास होने का कोई मकसद नहीं है तो मोदी जी की तरफ मेरा कोई निर्णय नहीं बन पा रहा है या फिर एक बार फिर एक ऐसे व्यक्ति को दूँ जो की निर्दलीय लड़ रहा है लेकिन जो की बाकी सब से कही ज्यादा ईमानदार एवं जिसकी जमानत अवस्य जप्त हो जाने वाली है उसको दू , इस बार तो मेरे लिए अपने मत का प्रयोग करना किसी परीक्षा से कम नहीं लग रहा |
एवं हमेसा से ही पॉलिटिक्स से दूर रहने को कहने वाले एवं पॉलिटिक्स को अछूत कहने वाले आज ममता जी के लिए टेक पे टेक दे रहे है टीवी के सामने , यह आन्ना जी का अपना मसला है | एक बार फिर आन्ना एवं केजरीवाल ने ये तो साबित कर दिया की किसी भी व्यक्ति से किसी भी चीज़ की अपेक्षा रखना सिर्फ आपकी मुर्खता को बढाता है और यह और भी सत्य हो जाता है अगर हम यह बात राजनीति के सन्दर्भ में कहे | मैं केजरीवाल जी का समर्थक हुआ करता था मगर उनका किसी भी चीज़ को पूरा किये बिना उसको छोड़ देना मुझे सही नहीं लग रहा मेरे हिसाब से उनको अगर सुधार करना ही था तो उनको दिल्ली में ही उसको सही ढंग से कर के फिर आगे जाना चाहिए था मगर वह एक साथ सम्पूर्ण भारत में सुधार कर देंगे तो यह तो कोई भी नहीं कर सकता चाहे वेह केजरीवाल जी हो या माननीय मोदी जी हो , उन्होंने जो काम ४९ दिन की सरकार में कर दिया शायद वह उ.प की सरकार पाच साल में भी न करने की हिम्मत रखे मगर क्या करे राजीनीति में कौन कब क्या कर दे कुछ नहीं कह सकते
मगर मेरे लिए बडा ही मुस्किल होता जा रहा है की किसको अपना मत दूँ एक बार सोचता हु की केजरीवाल जी पर फिर भरोसा करूँ मगर वह तो बहुमत में नहीं आ पाएंगे तो सोचता हु की मोदी जी को दू जो की हर बात पर अपना गुजरात मॉडल दिखा देते है परन्तु क्यूंकि मेरा किसी से भी अपेछा कर फिर निरास होने का कोई मकसद नहीं है तो मोदी जी की तरफ मेरा कोई निर्णय नहीं बन पा रहा है या फिर एक बार फिर एक ऐसे व्यक्ति को दूँ जो की निर्दलीय लड़ रहा है लेकिन जो की बाकी सब से कही ज्यादा ईमानदार एवं जिसकी जमानत अवस्य जप्त हो जाने वाली है उसको दू , इस बार तो मेरे लिए अपने मत का प्रयोग करना किसी परीक्षा से कम नहीं लग रहा |
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